राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा वर्षगांठ समारोह।
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रामलला के विग्रह की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर होने पर आयोजित तीन दिवसीय प्रतिष्ठा द्वादशी उत्सव का सोमवार को समापन हुआ। इस साल दिसंबर माह में एक बार फिर बालकराम की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसकी वजह यह है कि पौष शुक्ल द्वादशी की तिथि 31 दिसंबर को फिर पड़ रही है।
रामनगरी की परंपरा में प्रतिष्ठा द्वादशी का उत्सव जुड़ गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने हर साल प्रतिष्ठा द्वादशी उत्सव मनाने की घोषणा की है। पिछले साल 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भव्य मंदिर में की गई थी। 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वितीया की तिथि थी। राम मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि हिंदू परंपरा में उत्सव व त्योहार हिंदू तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं। इसलिए रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ भी हिंदू तिथि पर ही मनाई जाएगी।
इसी के चलते इस साल पौष शुक्ल द्वादशी से लेकर चतुर्थी यानी 11 से 13 जनवरी तक प्रतिष्ठा द्वादशी का उत्सव मनाया गया। उत्सव के क्रम में विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। अब हर वर्ष प्रतिष्ठा द्वादशी का उत्सव पौष शुक्ल द्वादशी को ही मनाया जाएगा। हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 से शुरू होगा और अगली पौष शुक्ल द्वादशी 31 दिसंबर को ही पड़ जाएगी। यह तिथि बुधवार के दिन है।
इस दिन द्वादशी तिथि सुबह पांच बजे से शुरू होगी और एक जनवरी, 2026 को देर रात 1: 48 बजे तक रहेगी। इसके बाद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी लगेगी। 2026 में यह तिथि 27 दिसंबर को पड़ेगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि हम हिंदू पंचांग के अनुसार ही उत्सव मनाएंगे। जब भी यह तिथि पड़ेगी उसी पर ही उत्सव का कार्यक्रम होगा।